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मनुष्य अक्षम है। विचार असीमित है, हम अनंत सोच सकते हैं। सोच को तथ्य में बदलने की कोशिश करते हैं। सोच, इच्छा, कामना, लालसा आती है हमारे परिवेश से। हम किसी चीज को देखते हैं और उसे पाने की इच्छा जागृत हो जाती है। क्योंकि हम देखकर ठहरते नहीं, देखते ही उसकी छवि हमारे मन में आती है, विचार तुरंत काम करता है; काश! यह हमारे पास होता। और इस तरह इच्छा जन्म लेती है।
इच्छा को हम तथ्य में बदलने की कोशिश करते हैं। इस तरह प्रत्येक दिन हजारों इच्छायें जन्म लेती हैं। इच्छाओं को हम तथ्य देना चाहते हैं। वहां से नियति जन्म लेती है। इच्छा पूरी हुई तो ठीक वर्ना नियति में नहीं लिखा था।

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