'खूबसूरती'

 

खूबसूरती क्या है?

हम सभी कई बार ये सोचते हैं दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज क्या होगी। य़ह कहावत तो आप सभी ने सुनी ही होगी कि 'खूबसूरती देखने वाले के आंखों में बसती है'। किसी को एक रोता हुआ बच्चा भी खूबसूरत लग सकता है,किसी को छूक-छूक करती हुई रेलगाड़ी भी। तो खूबसूरती का कोई सार्वभौमिक पैमाना नहीं है। हर एक चीज जो दिखती है वो खूबसूरत है अगर आपमे देखने की 'नजर' है। जरूरी है कि इसके लिए हम किसी सोच, विचार या विश्वास से बंधकर ना देखें। अगर हम देखना सीख जाएं, देखना मतलब सिर्फ 'देखना'। उस देखने में कोई विचार मन में नहीं चल रहा है, वो अच्छा है या बुरा है इसके बारे में आप कोई निर्णय नहीं दे रहे हैं,जहां निर्णयों का कोई स्थान नहीं है।आप सिर्फ देख रहे हैं जो भी हो रहा है बिना किसी सहमति या असहमति के....तो देखना भी खूबसूरत है अगर हमें देखने की कला पता है। आइए देखते हैं 'देखना' कैसे खूबसूरत है:

किसी पहाड़ को देखना खूबसूरत है जो शांत, स्थिर और अडिग है। बड़ा से बड़ा तूफान भी उसे हिला नहीं सकता...

बहती नदी को देखना खूबसूरत है जो प्रत्येक पुराने के प्रति 'मर' रही...जो निरंतर प्रवाहमान है और जो नए के साथ आगे बढ़ रही...

फूल को देखना खूबसूरत है कि सुगंध फैलाना उसका काम है उसे फर्क़ नहीं पड़ता कि लोग उसके बारे में क्य़ा सोचते हैं...

खुले आसमान को देखना खूबसूरत है कि जिसका अनंत विस्तार भी कभी उसे ढक नहीं पाता...

पक्षियों को सुनना खूबसूरत है कि उनको गाना पसंद है,इससे फर्क़ नहीं पड़ता कि आप उनका गाना सुनते हैं या नहीं...

झरनों से पानी को नीचे गिरते हुए देखना खूबसूरत है...जो चट्टानों को तोड़ते हुए आगे बढ़ रहे हैं...

रात में चंद्रमा को देखना खूबसूरत है कि पूरे अंधेरे में चांद की हल्की सुनहरी रोशनी अलग ही आभा बिखेर रही है...

किसी बस से जाते हुए खिड़की से बाहर हरे भरे विशाल मैदानों को देखना खूबसूरत है...कि हरियाली ने कैसे धरती की समां बांधकर रखा है (जिसको हम खत्म करते जा रहे हैं)....

बारिश में मोर को नाचते हुए देखना खूबसूरत है कि बारिश का आनन्द लेना कोई इनसे सीखे जो अपने पूरे पंखों को फैलाकर पूरे उत्साह से नाच रहा है....और हम बारिश देखते ही खिड़की दरवाजे बंद करने में लगे हैं ताकि पानी घर में ना आ जाए...

शाम के समय चिडियों को उनके घोंसलो की तरफ लौटते हुए देखना खूबसूरत है कि हमने धरती के चारों तरफ अपने गीत को फैला दिया...अब हमारे विश्राम का वक्त आ गया है...

किसी विशाल समुद्र को देखना खूबसूरत है कि उसका कोई अंत नहीं है,एक लम्बी दूरी तय करने के बाद आकाश और धरती मिलते हुए दिखाई देते हैं...जैसे गगन धरती को स्पर्श कर रहा हो...

बादलों को देखना खूबसूरत है,नित दौड़ते हुए बादलों को,जब वे सूरज को ढक लेते हैं और एक दूसरे में मिलते रहते हैं और फिर बड़ी टोली लेकर निकलते हैं,जब वे गरजते हैं इतनी तेज आवाज मानो पूरी पृथ्वी को खत्म ही कर डालेंगे,जब वे बरसते हैं इतनी जोरदार मानो कितने दिन से प्यासी धरती की प्यास बुझा रहे हों और हम खिड़की दरवाजे बंद कर लेते हैं बजाय उस आनंद में भीगने के ताकि बीमार ना पड़ जाएं पर बीमार तो हम पहले से ही हैं जब धरती की खूबसूरती से दूर हो जाते हैं...

एक जोरदार बारिश कराने के बाद आसमान साफ़ हो जाता है,फिर से सूरज खिल उठता है, आसपास एक नई रौनक का संचार हो जाता है,सब कुछ नया नया दिखता है मानो धरती कितने दिन से नहायी नहीं हो और कोई नहलाने के लिए ही आया था, पत्तियों से बारिश की बूंदे टपकती रहती हैं,भीगे हुए पंछी पेड़ों से बाहर निकलते हैं और बादल ऐसे गायब हो जाते हैं मानो उनका उद्देश्य पूरा हुआ कुछ दिन बाद वो फिर लौटेंगे...

खुद को देखना खूबसूरत है कि कैसे हम लोभी, लालची और ईर्ष्यालु हैं कि हमने एक जाल बनाया जो हमारा जीने का पूरा तरीका है और उसमें खुद ही फंसे हुए हैं.... 


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