अन्तर्दृष्टि
क्या आपको पता है हम सभी एक विशेष प्रकार से सोचने के आदि हैं। देखिए, सोचना (thinking) हमारे मस्तिष्क की प्रकिया है। हमारे मन में विचार आते रहते हैं। अब सवाल ये उठता है ये विचार क्यों आते हैं। देखिए सोचना का संबंध है आपके अनुभवों से। आपने अपने अब तक के जीवन काल में जितने तरह के अनुभव लिए हैं वह सभी स्मृति के रूप में आपके अंदर इकट्ठी होती चली जाती है और यह स्मृतियाँ विचार का रूप लेती हैं। कल्पना कीजिए किसी मशीन या कोई शक्ति से आपके स्मृतियों को मिटा दिया जाए, आपके अंदर कोई स्मृति नहीं बची है तो क्या तब विचार आएगा? नहीं, तब आपके अंदर कोई विचार नहीं होगा; फिर धीरे धीरे आप नए नए अनुभवों से नई नई स्मृतियों को ग्रहण करेंगे फिर उसके अनुसार आपकी विचार प्रक्रिया काम करेगी। इसलिए हमने कहा हम एक विशेष प्रकार से सोचने के आदी हैं और यह इस पर निर्भर करता है कि आपका पालन पोषण आपकी conditioning कैसे हुई है। हम जिस समाज में रहते हैं, जिन लोगों के बीच रहते हैं, जिस परिवार में रहते हैं, जिन संस्थाओं से जुड़े हैं कोई स्कूल या कोई धर्म; यह सभी हमारे सोचने के तरीके को बनाते हैं। संस्कृति हमारे व्यक्तित्व का न